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  • ISSN 0970-9312रजि. नं. 32427/76

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    Cover I & IV.indd All Pages 22-02-2019 12:24:27

  • if=kdk osQ ckjs easप्राथमिकमिक्षक राष्ट्रीय शकै्षिक अनसुंधान और प्रक्शषिण पररषद ्की एक तै्माक्सक पक्त्का ह।ै इस पक्त्का का मखुय उद्देशय ह,ै क्शषिकों और संबद्ध प्रशासकों तक कें द्रीय सरकार की क्शषिा नरीक्तयों सदे संबंक्धत जानकाररयाँ पहुचँाना, उनहें कषिा में प्रयोग में लाई जा सकनदे वालरी सार्थक और संबद्ध सामग्री प्रदान करना और ददेश भर कदे क्वक्भनन कें द्ों में चल रहदे पाठ्यक्रमों और काय्थक्रमों आक्द कदे बारदे में समय पर अवगत करातदे रहना। क्शषिा जगत में होनदे वालरी गक्तक्वक्धयों पर क्वचारों कदे आदान-प्रदान कदे क्लए भरी यह पक्त्का एक मचं प्रदान करतरी ह।ै

    पक्त्का में प्रकाक्शत लदेखों में वयक्त क्कए गए क्वचार लदेखकों कदे अपनदे होतदे हैं । अत: यह आवशयक नहीं ह ैक्क प्रतयदेक क्चतंन में पररषद ्की नरीक्तयों को हरी प्रसततु क्कया गया हो । इसक्लए पररषद ्का कोई उत्तरदाक्यतव नहीं ह ै।

    © 2018. पत्रिका में प्रकात्शत लेखों का रा.शै.अ.प्र.प. द्ारा सरावात्िकार सरुत्षित है। पररषद् की पूरवा अनुमत्त के त्बना, लेखों का पुनमुवाद्रण त्कसी भी रूप में मान्य नहीं होगा।

    रा.शै.अ.प्र.प. के प्रकाशन प्रभाग के कायावालय

    एन.सरी.ई.आर.टरी. कैं पसश्री अरक्वंद माग्थनयी त्दलली 110 016 फोन : 011-26562708

    108, 100 फीट रोडहोसकदे रदे हललरी एक्सटेंशनबनाशकंररी ।।। सटदेजबेंगलुरु 560 085 फोन : 080-26725740

    नवजरीवन ट्सट भवनडाकघर नवजरीवनअहमदाबाद 380 014 फोन : 079-27541446

    सरी. डब्लययू. सरी. कैं पसधनकल बस सटटॉप कदे सामनदेपक्नहटरीकोलकाता 700 114 फोन : 033-25530454

    सरी. डब्लययू. सरी. कटॉम्पलैक्समालरीगाँवगुराहाटी 781 021 फोन : 0361-2674869

    सलाहकार सत्मत्त मनदिेक, एन.सरी.ई.आर.टरी. : हृक्षकदे श सदेनापक्त अध्यक्ष, प्रारंक्भक क्शषिा : सनुरीक्त सनवाल क्वभाग अध्यक्ष, प्रकाशन प्रभाग : एम. क्सराज अनवर

    सपंादकीय सत्मत्त अकरादमिकसंपरादक : पद्म्ा यादव एवं उषा शमा्थ िखु्यसंपरादक : शवदेता उपपल

    प्रकाशन मंडल िखु्यवयरापरारप्बंधक : गौतम गांगलुरी िखु्यउतपरादनअमधकरारी : अरुण क्चतकारा संपरादनसहरायक : ॠक्षपाल क्संह उतपरादनसहरायक : प्रकाश वरीर क्संह

    आररणअक्मत श्रीवासतव

    मुख करर त्िरिसाषिरी शमा्थ, कषिा V, कें द्रीय क्वद्ालय, आई.आई.टरी., क्दललरी

    मूलय एक प्रत्त ` 65.00 रात्षवाक ` 260.00

    अध्यषि, प्रकाशन प्रभाग द्ारा राष्ट�रीय शकै्षिक अनसुंधान और प्रक्शषिण पररषद,् श्री अरक्वंद माग्थ, नयरी क्दललरी 110 016 कदे क्लए प्रकाक्शत तरा चनद्प्रभयू ऑफसदेट क्पं्रक्टंग वक्स्थ प्रा. क्ल., सरी-30, सैक्टर 8, नोएडा 201 301 द्ारा मकु्द्त।

    लेखकों के त्लए त्दशा त्नददेश

    • लदेख सरल भाषा में तरा रोचक होना चाक्हए।• लदेख की क्वषय-वसत ु2500 सदे 3000 या अक्धक शब्दों में डबल सपदेस में टंक्कत होना वांछनरीय ह।ै• क्चत् कम सदे कम 300 dpi में होनदे चाक्हए।• ताक्लका, ग्ाफ क्वषय-वसत ुकदे सार होनदे चाक्हए।• क्चत् अलग सदे भदेजदे जाए ँतरा क्वषय-वसत ुमें उनका सरान सपष्ट रूप सदे अकं्कत क्कया जाना

    चाक्हए।• शोध-पत्ों कदे सार कम सदे कम सारांश भरी क्दया जाए।• लदेखक लदेख कदे सार अपना सकं्षिपत क्ववरण तरा अपनरी शकै्षिक क्वशदेषज्ञता अवशय भदेजें।• शोधपरक लदेखों कदे सार सदंभ्थ की सयूचरी भरी अवशय दें।• सदंभ्थ का प्रारूप एन.सरी.ई.आर.टरी. हाउस सटाइल कदे अनसुार क्नम्नवत होना चाक्हए –

    सदेन गुपत, मजंरीत. 2013. प्रारंमभकबरालयरावसथरादखेभरालऔरमिक्षरा. परी.एच.आई. लक्निंग प्रा. क्ल., क्दललरी.

    लदेखक अपनदे मौक्लक लदेख या शोध-पत् सटॉफ़ट कटॉपरी (ययूनरीकोड में) कदे सार क्नम्न पतदे पर या ई-मदेल पर भेंजदे –

    अकादत्मक सपंादकप्राथत्मक त्शषिक

    प्रारंत्भक त्शषिा त्रभागराष्टीय शैत्षिक अनुसिंान और प्रत्शषिण पररषद्

    श्ी अरत्रंद मागवा, नयी त्दलली 110 016ई-मेल – [email protected]

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  • हिदंी बाल काव्य का बदलता स्वरूप और बच्चे 1

    इस अंक में

    सवंाद 3

    लेख

    1. समझना और सीखना लक्मी नारायण ममत्तल 5 समानता व अतंर

    2. समग्र मिक्ा सरला वमामा 9 मवद्ालयी मिक्ा में एक एकीकृत योजना

    3. कक्ा में पढ़ने की आदत रजनी 17

    4. प्रभावी मिक्ण के मलए संपे्रषण कौिल उषा िकुला 21

    5. बच्चों की मिक्ा में मिक्क-अमभभावक संबंध की भमूमका अमखलेि यादव 30 एक मवशलेषण

    6. बाल संसद के रासते प्रमोद दीमक्त ‘मलय’ 36

    7. कक्ा मिक्ण में वातामालाप गमतमवमध, रोल पलले और ततकाल प्रसतमुत िारदा कुमारी 42

    8. प्राथममक मिक्ा व मिक्कों से जड़ुी मवपरीत पररमसथमतयाँ एवं उनका सामना अलका मरिपाठी 48 अजंली बाजपेयी

    9. बच्च ेका मवकासातमक संदभमा और मवद्ालय ऋषभ कुमार ममश्र 53

    10. पवूमा प्राथममक सतर पर मिदंी भाषा का मिक्ण पद्म्ा यादव 59

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    ISSN 0970-9312

    प्ाथममक मशक्षक

    वर्ष 42 अंक 4 अक्तूबर 2018

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  • प्राथमिक मिक्षक / जलुराई 20182

    मवशेर

    11. उच्च प्राथममक सतर पर गमणत सीखने के प्रमतफल ( कक्ा 6 से 8) 64

    बालमन कुछ कह्ा है

    12. खलेों का मित्तव मनमिता मोमिल 76

    13. मसुकान मदपाषवी 77

    कमव्ा

    14. तरककी िषमावधमान कुमार 78

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  • संवाद

    सीखने की प्रमरिया में यि एक मितवपणूमा मबंद ुि ैमक मिक्क अपनी कक्ाायी प्रमरियाओ ंको मकस तरि से सयंोमजत करते िैं और बच्चों को समग्रता में मवमभन्न अवसर उपलब्ध कराते िैं। सीखने स ेजड़ुी समसत अवधारणाए ँइस ओर संकेत करती िैं मक पररवार, मवद्ालय, समदुाय, नीमतयाँ और सवयं मिक्कों की मिक्ा मकस रूप में आकार लेती िैं। ‘समग्र मिक्ा’ की सकंल्पना में इन्िीं मबंदओु ंको धयान में रखा गया ि।ै कुिल पाठक के रूप में पढ़ने का िुनर अन्य मवषयों के अधययन को प्रभामवत करता ि।ै अत: यि आवशयक ि ैमक बच्चों में पढ़कर समझने की कुिलता का मवकास मकया जाए। पढ़ने का संबंध मवमभन्न प्रकार की उप कुिलताओ ंके साथ भी ि,ै मजन्िें मवकमसत करने के मलए बाल सामितय समित मवमभन्न प्रकार की पाठ््य सामग्री की उपलब्धता एक अमनवायमा आवशयकता ि।ै

    बच्चों का सकूली जीवन उनके मवकास के दृमषिकोण स ेअतयतं मित्तवपणूमा िोता ि।ै इन वषषों में बच्चों के मवकास के मलए अनकूुल वातावरण ममलना आवशयक ि।ै दभुामाग्यवि िमारे दिे में गरीबी और मपछड़ेपन के कारण अमधकांि बच्चों को घरों में एक उद्ीमपत वातावरण निीं ममल पाता। मिक्ा का अमधकार अमधमनयम इस अभाव की पमूतमा के सदंभमा में एक प्रमखु प्रयास ि।ै िालांमॅक मिक्ा के क्रेि में अभी भी बिुत सधुार लाने की आवशयकता ि।ै मिक्ा रिम को प्रभावपणूमा ढंग स ेमरियामन्वत करने के मलए आवशयक ि ैमक पयामाप्त समय, सिाफॅ़, भवन तथा उसका रख-रखाव, मनमधयाँ, िमैक्क सामग्री, खले के मदैान आमद अमनवायमा रूप स ेउपलब्ध िों, परंत ुदभुामाग्यवि अमधकतर सकूलों में ये न्यनूतम आवशयकताए ँभी उपलब्ध निीं िैं। लगन और प्रमतबद्धता की भावना स ेकायमा करने वाले मिक्कों की सखंया भी कम िो रिी ि।ै ज्य़ादातर मिक्कों द्ारा अपनाए जाने वाले मिक्ण के तरीके छारिों के मलए मकसी प्रकार की ्चनुौती प्रसततु निीं करते। अब ज़रूरत ि ैमिक्ा में ेिकनोलॉजी के प्रयोग की। एन.सी.ई.आर.िी. द्ारा ई-कंिेंि तैयार मकया जा रिा ि ैजो NROER पर मिक्क दखे सकते िैं और मिक्ा में उसका प्रयोग कर सकते िैं। एन.सी.ई.आर.िी. द्ारा मनमममात मकताबें ई-पाठिाला में उपलब्ध िैं, मजन्िें मफु़त डाउनलोड मकया जा सकता ि ैऔर ‘सवयं प्रभा’ पर िमैक्क ्च्चामाओ ंका लाभ उठाया जा सकता ि।ै

    उममीद ि ैयि अकं आपको पसंद आएगा। इस अकं से संबंमधत यमद कोई सझुाव िों तो आप िमें भजे सकते िैं।

    अकादमिक संपादक

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  • 1

    समझना और सीखना समानता व अंतर

    लक्ष्मी नारायण मष्त्तल*

    प्रमि क्षक-मि क्षकों के सष्क्ष मिचार हते ुसष्झना और समीखना दो िबदों को रखें। मि क्षकगण इस बात पर मिचार करें मक कया िे इन दोनों िबदों को एक-दसूरे का पयायायिाचमी ष्ानते हैं या इनष्ें भदे करते हैं। यमद भदे करते हैं तो मि क्षकों को उसे सपष्ट करने को पे्रररत मकया जाए। यमद यहाँ चचाया होने लगे तो प्रमि क्षक को सगुष्कताया की भमूष्का मनभानमी चामहए तो उन्हें ‘सष्झना’ और ‘समीखना’ ष्ें कया बारमीक भदे ह ैइसकी जानकारमी मनम्नित दमी जानमी चामहए।

    सव्वप्रथम यह स्पष्ट करना कक ‘समझदार होना’ और ‘साक्षर होना’ किलककु ल कि नन िातें हैं मि क्षकों के सष्क्ष दो बातें रखमी जाए ँ— सष्झदार वयमकत और साक्षर वयमकत। मिर उनसे पूछा

    जाए मक कया िे दोनों को एक हमी ष्ानते हैं या अलग-अलग। मनष्करया यहमी मनकल कर आएगा मक दोनों का अरया अलग-अलग ह,ै सष्झदार वयमकत साक्षर हो भमी सकता ह ैऔर नहीं भमी या मिर वयमकत ष्ें बहुत स ेहुनर भमी हो सकते हैं। इसका अरया यह नहीं मक िह सष्झदार हमी ह।ै िह सष्झदार हो भमी सकता ह ैअौर नहीं भमी।

    दैकनक जीवन के ककु छ उदाहरणों से ‘समझना’ और ‘सीखना’के िीच के फक्व को उजागर करना प्रमि क्षक, बोरया पर मनम्न मबंदुओ ं को मलख सकते हैं, जसै े— हल चलाना, गाडमी चलाना, बचचों को पढाना, वयिहार करना, खाना बनाना, संबंधमी या ररशतों के सार मनिायाह करना, गमण त के सिाल लगाना आमद।

    * पिूया प्राचरार्य एिं प्रोफ़े सर, एच-899 ओल्र हाउमसंग बोरया, ष्रैुना 476 001

    लेख

    आष् वयमकत का जमीिन हो या मकसमी मिमिष्ट वयमकत का जमीिन,‘सष्झ’ और ‘समीख’ दोनों हमी िबद एक ष्हत्िपणूया प्रमरिया के रूप ष्ें दोनों के हमी जमीिन ष्ें अमभन्न अगं के रूप ष्ें िामष्ल हैं। जमीिन का मनिायाह भर करना ह,ै तो एक अलग बात ह,ै परंत ुजमीिन को रचनात्ष्क रूप दनेा ह ैतो ‘सष्झ’और ‘समीख’ के बगरै काष् नहीं चलेगा। ‘समीख’ तो सित: आरंभ हो जातमी ह,ै प्राकृमतक आिशयकताओ ंकी पमूतया करने के मलए और उनके सार ‘सष्झ’ का भमी पुट हो, तो बात मिलक्षण हो जातमी ह।ै प्रसततु लेख ष्ें ‘समीख’ और ‘सष्झ’ पर एक सष्झ बनाने का प्रयास मकया गया ह।ै अधयापकों के सार चचाया कर कैसे इन िबदों को सष्झा जाए और मिद्ालयमी मिक्षण ष्ें इनके ष्हत्ि को जाना जाए इन्हीं मि चारों की प्रसतमुत इस लेख ष्ें ह।ै

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  • प्राथमिक मिक्षक / अक्तूबर 20186

    मिर मि क्षकों से कहा जाए मक बोरया पर मलखमी बातों को िे दो श्ेमण यों ष्ें बाँट दें। एक श्ेणमी ष्ें उनको रखें मजन्हें िे ष्ूलत: सष्झने (सष्झदारमी) की बात ष्ानते हैं और दूसरमी श्ेणमी ष्ें उन्हें रखें मजन्हें िे ष्ूलत: समीखने से संबंमध त ष्ानते हैं। जब प्रमिक्षु-मि क्षक ऐसा कर लें तो उनसे यह पूछा जाए मक आमख र उनके द्ारा मकए गए िगगीकरण का आधार कया है?

    दखेा गया ह ैमक ‘सष्झने’ की शे्णमी ष्ें ‘वयिहार करना’और ‘संबंध या ररशतों का मनिायाह करना’ रखा जाता ह।ै प्रमि क्षक इन मबंदओु ंपर कुछ इस प्रकार अपनमी बात रख सकता ह ै मक हष्ारे मलए सबसे ष्मुशक ल कायया सहमी वयिहार करना और संबंधों का ठमीक-ठमीक मनिायाह करना हमी होता ह।ै हष्ारमी सबसे बडमी मििलता इसमी क्षेत्र ष्ें हष् ष्हसूस करते हैं और इसका कारण यहमी ह ैमक यह समीखने से नहीं आता। यमद यह समीखने से आने िालमी चमीज़ होतमी तो एक मनमशच त उम्र आने पर या एक मनमशच त सष्य तक लगातार करते रहने के कारण सित: हमी हष्ें वयिहार करना और संबंधों का मनिायाह करना आ जाता। ऐसा होता नहीं ह,ै ऐसा हष् सभमी अपने-अपने अनुभिों से जानते हैं।

    जीवन के मूल प्रश्नों से जोड़कर ‘समझने’ और ‘सीखने’ का िेद समझाना प्रमि क्षक-मि क्षकों के सष्क्ष जमीिन के दो ष्लू प्रशनों को रखें —

    • ष्ैं जमीिन ष्ें कया चाहता हू?ँ (जमीिन के लक्य से संबंमध त प्रशन)

    • जमीिन ष्ें जो चाहता हू ँउसे कैसे प्राप्त करँूगा? (जमीिन के काययारिष् से संबंमधत प्रशन)

    मिर प्रमि क्षक कह सकता है मक जमीिन से संबंमध त ये दो ष्लू प्रशन हैं। ‘सष्झने’ और ‘समीखने’ की आिशयकता के ष्लू ष्ें यहमी दो प्रशन हैं। हष्ें आमख र यहमी दो बातें तो ष्ूलत: सष्झनमी हैं मक ष्ैं चाहता कया हू ँ और उसे कैसे हामसल करँूगा। सष्झना मिचार प्रधान होता है यामन सष्झना मिचार और बुमधि के सतर पर होने िालमी चमीज़ ह ैऔर सष्झ के मरि यान्ियन की जब बात आतमी ह ैतब िरमीर की कष्मेंमरि यों और ज्ानें मरि यों की भमूष्का प्रधान हो जातमी ह।ै उस रिष् ष्ें बहुत से हुनर समीखने की आिशयकता पडतमी ह।ै हुनर के ष्ाष्ले ष्ें चनुाि की सितंत्रता होतमी ह।ै

    ‘कयों’ और ‘ कैसे’ जैसे प्रश्नवाचक शबदों के जररए ‘समझना’ और ‘सीखना’ के िेद ्पर िात रखनाप्रमि क्षक यह भमी कह सकते हैं मक, सष्झने और समीखने का भेद हष् ‘कयों’ और ‘कैसे’ जैसे प्रशनिाचक िबदों के जररए भमी सष्झ सकते हैं। जैसे — ‘ष्ैं कयों जमी रहा हूँ’ को सष्झने की आिशयकता होतमी ह।ै ऐसे हमी ‘ष्ैं गमण त कयों पढँू या समीखूँ’ को भमी सष्झने की आिशयकता ह।ै ‘कैसे’ के उत्तर ष्ें जब हष् जाएँगे, जैसे मक ‘ष्ैं कैसे मजऊँ’ या ‘ष्ैं भारा का अचछा ज्ाता कैसे बनूँ’तो सष्झ के सार-सार समीखने की भमूष्का प्रधान हो जातमी ह।ै ऐसा मदखता ह ैमक ‘कयों’ का जिाब हष्ारे पास नहीं होता, लेमकन ‘कैसे’ का जिाब हष् अपने आस-पास के लोगों के जमीने या करने ष्ें देखते हमी रहते हैं, और िहीं से समीख भमी लेते हैं। इसमी कारण हुनरष्ंद लोग तो बहुत मष्ल जाते हैं, परंतु सष्झदार लोग ष्मुशकल से हमी मष्लते हैं।

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  • समझना और सीखना — समानता व अतंर 7

    ‘समझना’ और ‘सीखना’ के सदंि्व में (कवशेष रू्प से समझने और समझाने के कलए) सवंाद के महत्व को रखना ‘सष्झना’ और ‘समीखना’ के भेद को सपष्ट कर देने के बाद प्रमि क्षक मनम्न रेखामचत्र मिक्षक-प्रमिक्षओु ंके सष्क्ष रख सकता ह ै—

    इस रेखामचत्र को सष्झाने के रिष् ष्ें प्रमि क्षक यह बात रख सकता ह ैमक,‘सष्झने और समीखने’ के सदंभया ष्ें हमी अधययन और अभयास िबदों के बारे ष्ें भमी सपष्टता की आिशयकता ह।ै अधययन और अभयास या तो सिय ंकर सकते हैं या दसूरों की ष्दद स।े दमुनया ष्ें ऐस ेलोग हुए हमी हैं मजन्होंने सिय ंहमी समीखा और सष्झा। लेमकन आष् आदष्मी को या बहुसंख्यक ष्नुष्यों को तो दसूरों की ष्दद की ज़रूरत पडतमी हमी ह।ै मिद्ालय को इसमी दृमष्ट से देख सकते हैं। मि क्षक अधययन और अभयास हेतु ष्दद करने के मलए हमी तो मनयुकत होते हैं। मि क्षक द्ारा यह ष्दद पहुँचाने का सबसे कारगर ष्ाधयष् संिाद है। ऐसा हष् सियं

    अधययन अभयास

    ष्नषु्य

    सियं सियंदसूरे की ष्दद से (संिाद) दसूरे की ष्दद से (संिाद)

    सष्झना समीखना

    सष्झदार वयमकत हुनरष्दं वयमकत

    भमी सिमीकार करते हैं मक हष्ें अपने सार संिाद हमी सबसे अमध क सिमीकार होता है। मिद्ारगी को भमी संिाद हमी सिायामध क सिमीकृत होता है और िहमी हष् सबसे कष् करते हैं। संिाद की मििेरता यह है मक इसष्ें दसूरों को सष्झाने के सार-सार सष्झने का कायया भमी होता है और दसूरे सष्झे मबना सष्झाना

    तभमी हो सकता ह ैजब सष्झने िाला सियं तत्पर हो। मिद्ालय ष्ें तो मि क्षक को मिद्ारगी की यह तैयारमी भमी करानमी पडतमी है मक िह सष्झने के मलए तैयार हो जाए। यहाँ संिाद की हमी मििेर भूमष्का होतमी है।

    ‘समझ के करो’ और ‘करके सीखो’ जैसे सतू्र देना प्रमि क्षक प्रमतभामगयों के साष्ने ‘सष्झ के करो’ और ‘करके समीखाे’ के ये दो सूत्र रख सकते हैं। इस संदभया ष्ें प्रमिक्षु को बताएँ मक सभमी कायया सष्झ कर हमी मकये जाने चामहए यामन कयों कर रहा हूँ, यह सपष्ट होना चामहए। करने के मलए उस कायया मििेर का कौिल समीखना ज़रूरमी है जो मक

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  • प्राथमिक मिक्षक / अक्तूबर 20188

    करके या अभयास से हमी आता है। यहाँ यह भमी सष्झने की आिशयकता है मक सष्झने ष्ें भमी हुनर की भूमष्का होतमी है, मजसष्ें भारा यामन अपने मिचार-भािों को रख पाना एक ष्ुख्य हुनर है। प्रकृमत ष्ें यह वयिसरा है मक यहमी हष् सबसे पहले समीखते हैं। हुनर समीखे लेने के बाद उसका उपयोग सष्झ पर हमी मनभयार करता है।

    ‘समझ’ और ‘हुनर के ्ूपरक’ संिंध की िात करना प्रमि क्षक, प्रमिक्षु के साष्ने यह बात भमी रख सकते हैं मक ‘सष्झने और समीखने (हुनर)’ का एक-दसूरे से पूरकता का ररशता ह।ै हुनर सष्झने ष्ें ष्दद करता

    ह ै तो सष्झ हुनर के सदपुयोग का आधार बनतमी है। सष्झ का मरियान्ियन हुनर से हमी हो सकता ह।ै मि क्षक को यह सपष्टता रहनमी चामहए मक िह दोनों पक्षों पर धयान दें और इस कारण मि क्षण ष्ें सष्ग्रता आएगमी।

    कनष्कष्वसष्झना समीखना एक-दसूरे के परूक हैं। सष्झने से चमीजे़ं समीखना आसान हो जाता ह।ै मबना सष्झे कोई भमी कायया कमठन होता ह।ै मिद्ालयमी मिक्षा ष्ें भमी सष्झ कर पढना और पढकर सष्झना ष्हत्िपणूया होता ह।ै अरायात् ्पढना हमी सष्झना ह।ै

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  • 2

    समग्र शिक्षा शिद्षालयी शिक्षा में एक एकीकृत योजनषा

    सरला वरामा*

    * असिस्टेंट प्रोफ़े िर, प्ारंभिक भिक्ा भविाग, एन.सी.ई.अार.टी, नयी भिलली 110 016

    वरमारान सरय रें भिक्ा भकसी िी राष्ट्र की प्गभर का सचूक ह।ै भिक्ा सराज रें एक एकीकृर बल के रूप रें कायमा कररी ह ैजो साराभजक एकजटुरा एव ंराष्ट्रीय पहचान को बढावा िनेे वाले रलूय प्िान कररी ह,ै भजससे साराभजक, आभ म्ाक और राजनीभरक पररवरमान र्ा सराज रें सरानरा द्ारा कोई राष्ट्र उननभर कररा ह।ै ििे रें भिक्ा के सावमािौरीकरण के लक्य को प्ाप्र करने के भलए कई कायमाक्ररों और योजनाओ ंकी िरुुआर की गयी, भजसस ेबचचों का सवाांगीण भवकास भकया जा सके। कें द्र और राजय सरकारों के द्ारा कुछ योजनाए ँजसै े— सवमा भिक्ा अभियान (SSA), राष्ट्रीय राधयभरक भिक्ा अभियान (RMSA) और भिक्क भिक्ा ससं्ानों (TEIs) के भलए बहुर प्यास भकए गये, परंर ुइरने प्यासों के बावजिू िी भवद्ालयी भिक्ा प्णाली को प्िावी नहीं बनाया जा सका और न ही उस ेपणूमा रूप स ेगणुवत्ापणूमा बनाया जा सका। हालाँभक, इन योजनाओ ंके भक्रयानवयन और प्बंधन के भलए राष्ट्रीय, राजय, भजला और उप-भजला सररों पर सकूल भिक्ा प्णाली र ेसधुार के भलए सरांरर संस्ागर वयवस्ाए ँिी की गइां। इसी सरान उद्शेयों को प्ाप्र करने के भलए कई बार प्यासों और कभरमायों के काययो रें िोहराव होरे गये। इस कारण भिक्ा प्णाली को एक ऐस ेसगंभिर सवरूप की ज़रूरर हुई, जहाँ इन रीनों योजनाओ ंएवं अनय सबंंभध र पहलओु ंका एक सा् सराविे हो भजसस ेबचचों की भिक्ा के सा् भिक्क प्भिक्ण आभि को एक सा् िखेा जा सके। इसभलए इन सिी को एक ही रूप र ेिखेने के भलए एकीकृर योजना को बनाया गया ह।ै इस योजना रें सपंणूमा भवद्ालय भवकास कायमाक्रर के अरंगमार कक्ा 1स1े2 रक को एक सा् रखा गया ह ैअ्ामार ्भवद्ालयी भिक्ा को सरग्र रूप स ेप्ी-नसमारी कक्ा स े12 वीं कक्ा रक भविाभजर भकए जाने के बजाए एक सवरूप रें िखेने का प्सराव भिया ह,ैभजसस ेकायमा क्ररा और बजट का सही उपयोग भकया जा सके। इसभलए इस ेभवद्ालयी भिक्ा क्ते्र के भलए प्ी-सकूल स ेकक्ा 12 रक भवसरारर एक वयापक कायमाक्रर और वयापक लक्य के सा् रैयार भकया गया ह।ै भिक्ा की गणुवत्ा रें सधुार के भलए राजयों को प्ोतसाभहर करना होगा। सकूली भिक्ा सीखने और सीखने के पररणारों के भलए बराबर अवसरों के सधुार एवं भवकास कायमाक्रर या योजना सिी सररों पर भविषे रूप से राजय, भजला और उप-भजला सरर प्णाली और ससंाधनों का उपयोग करने के भलए कायामानवयन प्णाली और कायमा को वयवभस्र रूप स ेकरने रें रिि करेगी, इसके अलावा सकूली भिक्ा के भवकास के भलए एक वयापक रणनीभरक योजना भजला सरर पर सकूली भिक्ा के पररणारों रें सधुार करने के भलए सयंकु्र योजना को ज़ोर िगेा।

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  • प्राथमिक मिक्षक / अक्तूबर 201810

    समग्र शिक्षा — एक एकीकृत योजनषा कषा परिचयसरग्र भिक्ा, रानव ससंाधन भवकास रतं्रालय द्ारा प्ी-सकूल से कक्ा 12 रक की भवद्ालयी भिक्ा से संबंभध र एक एकीकृर योजना ह।ै सरग्र भिक्ा से पवूमा कें द्र सरकार की रीन योजनाएँ य्ा—सवमा भिक्ा अभियान (SSA), राष्ट्रीय राधयभरक भिक्ा (RMSA) र्ा भिक्क भिक्ा संस्ान (TEIs) पृ् क-पृ् क रूप रें कायमा कररी ्ीं भजसके कारण अकसर इन योजनाओ ं द्ारा संचाभलर काययों की पनुरावभृत् हो रही ्ी, क्योंभक सिी कायमा भवद्ालयी भिक्ा स ेसबंंभध र ्े। अरः इन भबंिओु ंको धयान रें रखरे हुए िारर सरकार ने इन रीनों योजनाओ ंको सभ्रभलर रूप से भवद्ालयी भिक्ा के भलए एक एकीकृर योजना के अरंगमार रखा भजसका नार ‘सरग्र भिक्ा’ ह।ै

    सरग्र भिक्ा का रखुय लक्य भवद्ालयी भिक्ा रें सधुार कर इसकी गणुवत्ा को बढाना ह।ै इसके भलए सबसे रहतवपणूमा कायमा सिी बचचों को सकूल जाने एवं पढने के सरान अवसर उपलबध कराना ह।ै यह योजना प्ी-सकूल से लेकर उचच-राधयभरक अ्ामार ् प्ी-नसमारी से कक्ा 12 रक ‘भवद्ालय’ को भनरंरररा के रूप रें रानरी ह।ै

    समग्र शिक्षा कषा दृश्टिकोणसवमा भिक्ा अभियान (SSA),राष्ट्रीय राधयभरक भिक्ा अभियान (RMSA) और भिक्क भिक्ा संस्ानों (TEIs) की कें द्र प्ायोभजर योजनाए ँरानव संसाधन रंत्रालय के रीन रखुय भवद्ालयी भिक्ा भवकास के कायमाक्रर ्े भजनहें कें द्र सरकार ने राजय सरकारों के सा् भरलकर परूा करने का उद्शेय रखा।

    इन योजनाओ ंद्ारा अलािाभनवर एवं भपछड़े वगयों को सरानरा का अभधकार िरेे हुए सरान भिक्ा के भलए आगे बढाना ् ा। इन योजनाओ ंके अरंगमार काययों को भन्नभलभखर प्कार से वयवभस्र भकया गया ्ा —

    सवमा भिक्ा अभियान द्ारा भिक्ा का अभधकार अभधभनयर, 2009 (आर.टी.ई., 2009) के अरंगमार प्ारंभि क भिक्ा अ्ामार ्कक्ा 1 से 8 रक की भिक्ा को रखा गया।

    • राष्ट्रीय राधयभरक भिक्ा अभियान रें कक्ा 9 से 12 रक की भिक्ा को रखा गया।

    • भिक्क भिक्ा संस्ानों (TEIs) के अंरगमार सेवापूवमा र्ा सेवाकालीन भिक्क प्भिक्ण गणुवत्ा को बढाने और रॉनीटर करने सबंंधी काययों को रखा गया, भजनहें एस.सी.इमा.आर.टी. एवं डी.आई.ई.टी. के सा् भरलकर भकया जारा रहा।

    इस ररह इरनी योजनाए ँऔर इरने प्यासों के बावजिू िी भवद्ालयी भिक्ा प्णाली को प्िावी नहीं बनाया जा सका और न ही उस ेपणूमारूप स ेगणुवत्ापणूमा बनाया जा सका। इस कारण भिक्ा प्णाली को एक ऐसे संगभिर सवरूप की ज़रूरर हुई जहाँ इन रीनों योजनाओ ंएवं अनय संबंभध र पहलओु ंका एक सा् सरावेि हो भजससे बचचों की भिक्ा के सा् भिक्क प्भिक्ण आभि को एक सा् िखेा जा सके। अरः रीनों योजनाओ ंको सभ्रभलर रूप से ‘सरग्र भिक्ा’ योजना कहा गया।

    सरग्र भिक्ा योजना का दृभष्टकोण भिक्ा रें सरर भवकास के लक्य को धयान रें रखरे हुए प्ी-सकूल से उचच राधयभरक सरर रक सरावेिी र्ा सरान भिक्ा को सभुनभशच र करना ह,ै भजससे कायमा क्ररा और बजट का सही उपयोग भकया जा सके। इस ररह कें द्र

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  • समग्र शिक्षा — शिद्षालयी शिक्षा में एक एकीकृत योजनषा 11

    सरकार द्ारा राजय सरकार को भिक्ा का सरानीकरण एवं सरावेिीकरण के सा्-सा् गणुवत्ापणूमा भिक्ा के भलए प्ोतसाभहर करना िी ह।ै

    समग्र शिक्षा योजनषा के प्रमुख उदे्शयसरग्र भिक्ा योजना के प्रखु उद्शेय भन्नभलभखर हैं—

    • सरग्र भिक्ा योजना का प्रखु उद्शेय गणुवत्ापणूमा भिक्ा का प्ावधान है। छात्रों के सीखने के पररणारों रें वभृधि, भवद्ालयी भिक्ा रें साराभजक और जेंडर असरानरा को िरू कर सिी सररों पर सरानरा और सरावेिन सभुनभशच र करना ह।ै

    • सकूली भिक्ा प्ावधानों रें नयूनरर रानकों (indicators) को सुभनभशच र करना, भिक्ा रें वयवसायीकरण को बढावा िनेा, भन:िलुक और अभनवायमा भिक्ा अभधभनयर, 2009 (आर.टी.ई.) कायामानवयन रें राजय सररीय एस.सी.इमा.आर.टी/राजय भिक्ा संस्ान और भजला सरर पर डी.आई.ई.टी. के नोडल एजेंभसयों के रूप रें सदुृढीकरण और उननयन रें सहायरा करना िी इस योजना का एक उिशेय ह।ै

    • इस योजना का रखुय लक्य भिक्ा की सावमािौभरक पहुँच, सरानरा और गुणवत्ा, भिक्ा के वयवसायीकरण को और भिक्क भिक्ा ससं्ानों (TIEs) को सदुृढरा प्िान करना ह।ै

    • यह योजना कें द्र प्ायोभजर योजना के रूप रें राजय सरर पर भविाग द्ारा एक राजय कायामानवयन सोसाइटी के राधयर स ेलाग ूकी जाएगी। राष्ट्रीय सरर पर, यह योजना एक पररयोजना अनरुोिन बोडमा (PAB) की अधयक्रा रें एक गवभनांग काउंभसल के अरंगमार रानव संसाधन भवकास रतं्री और सकूल भिक्ा और साक्ररा भविाग

    के सभचव की अधयक्रा रें होगी। सरग्र भिक्ा योजना कायमाक्रर की रॉनीटररंग, सरानरा और गणुवत्ा स ेसबंंभधर कायामातरक क्ते्रों रें रकनीकी सहायरा प्िान करने के भलए भविाग को िारर के एडभसल (Educational Consultant of India Limited) रें रकनीकी सहायरा सरहू (TSG) द्ारा सहायरा िी जाएगी। इस ररह राजय रें भवद्ालयी भिक्ा के भलए एक ही योजना लाने की कोभिि की गई ह।ै

    समग्र शिक्षा योजनषा के प्रमुख उदे्शय

    • गणुवत्ापणूमा भिक्ा का प्ावधान • भवद्ालयी प्ावधान रें नयनूरर रानकों को

    सभुनभशच र करना • भिक्ा रें वयवसायीकरण को बढावा िनेा • भन:िलुक एव ंअभनवायमा बाल भिक्ा का अभधकार

    अभधभनयर, 2009 (RTE Act, 2009) को लाग ूकरने रें राजयों की सहायरा करना

    • भिक्क प्भिक्ण हेरु एस.सी.इमा.आर.टी/राजकीय िभैक्क ससं्ानों एव ंडाइट को नोडल एजेंसी के रूप रें रजबरूी प्िान करना

    • भवद्ालयी भिक्ा के प्तयेक सरर पर सरानरा र्ा सराविे को धयान रें रखना

    • भवद्ाभ्मायों हरे ुभिक्ा र्ा सीखने के प्भरफलों रें भवकास संबंधी प्ावधान

    • भवद्ालयी भिक्ा के अरंगमार साराभजक र्ा जेंडर गैप/अरंर को पाटना

    • कें द्र और राजयों के बीच योजना के भलए फंड साझाकरण पैटनमा-8 उत्र-पवूवी राजयों, जैसे—अरुणाचल प्िेि, असर, रभणपुर, रेघालय, भरजोरर, नागालैंड, भसभक्कर और भत्रपरुा र्ा

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  • प्राथमिक मिक्षक / अक्तूबर 201812

    इसके अलावा यह हसरक्ेपों (interventions) के राधयर से भिक्क भिक्ा के एकीकरण द्ारा भवद्ालयी भिक्ा रें अलग-अलग सहायक संरचनाओ,ं जैसे — एकीकृर प्भिक्ण कैलेंडर, अधयापन रें नवाचार, परारिमा और रॉनीटररंग आभि के बीच प्िावी अभिसरण और संबंधों (convergence and linkages) की सभुवधा प्िान करेगा।

    • यह एकल योजना एस.सी.इमा.आर.टी. (SCERT) को लक्य कें भद्रर और गभरिील बनाने के भलए सिी सेवारर प्भिक्ण कायमाक्ररों का आचरण और रॉनीटररंग(mentoring and monitoring) के भलए नोडल एजेंसी बनने रें सक्र करेगी। यह सिी राजयों और कें द्र िाभसर प्िेिों और सराज के सिी वगयों रें अचछी गणुवत्ा की भिक्ा के भलए प्ौद्ोभगकी के उपयोग द्ारा होने वाले लािों को पहुचँाने रें िी सक्र होगी।

    समग्र शिक्षा योजनषा के प्रमुख आयषामइस योजना के रहर बचचों को गणुवत्ापणूमा भिक्ा प्िान करने के भलए भिक्कों द्ारा कक्ा कक् रें ज़यािा से ज़यािा रकनीकी के उपयोग पर भविषे धयान भिया जाएगा, भजसरें प्सराभवर सकूल भिक्ा के सिी प्रखु आयार भन्नभलभखर हैं—

    (i) बु भ नय ाि ी ढ ाँचे के भवकास स भहर सावमािौरीकरण र्ा प्भरधारण (universal access including infrastructure development and retention)

    (ii) जेंडर और सरानरा (gender and equality)(iii) सरावेिी भिक्ा (inclusive education)

    3 भहरालयी राजयों के भलए 90:10 के अनुप ार रें प्सरा भवर भकया गया है । ज्र-ूकशरीर, भहराचल प्ििे और उत्राखडं और भवधानसिा के सा् अनय सिी राजयों और कें द्र िाभसर प्ििेों के भलए फंड साझाकरण पटैनमा 60:40 रखा गया ह।ै इसके अलावा भबना भवधानरंडल के संघ िाभसर प्ििेों के भलए 100% कें द्र द्ारा प्ायोभजर (अक्रबूर, 2015 रें प्ाप्र कें द्र प्ायोभजर योजनाओ ंके रकमा सगंरकरण पर रखुयरभंत्रयों के उप-सरहू की भसफाररिों के अनसुार) करने का प्सराव ह।ै

    • एकीकृर योजना रें िो ‘T’— भिक्क और प्ौद्ोभगकी (Teacher and Technology) पर धयान कें भद्रर करके सकूल भिक्ा की गणुवत्ा रें सधुार करने पर बल भिया गया ह।ै इस योजना के रहर सकूली भिक्ा के सिी सररों पर सीखने के प्भरफलों को प्ाप्र करने के भलए रणनीभर रैयार की जाएगी। यह योजना राजयों और कें द्र िाभसर प्ििेों को योजना रानिडंों और उनके भलए उपलबध सरग्र संसाधन के अरंगमार अपने अनसुार योजना बनाने और प्ा्भरकरा िनेे के भलए लचीलापन िनेे का प्सराव रखरी ह।ै योजना रें उद्शेय रानिडंों के आधार पर, जसै—े छात्रों के नारांकन, प्भरबधि भज़्रिेाररयाँ, सीखने के प्भरफलों और भवभिनन प्िभिमार सकेंरकों आभि के आधार पर भनभध आवभंटर करने का प्सराव ह।ै

    • यह योजना बचचों के सवाांगीण भवकास को बढावा िनेे, भवद्ालयी भिक्ा के भवभिनन सररों पर भिक्ण एव ं भिक्ण प्भक्रया रें सधुार करने र्ा भवद्ालयी भिक्ा परूी करने रें रिि करेगी।

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  • समग्र शिक्षा — शिद्षालयी शिक्षा में एक एकीकृत योजनषा 13

    (iv) गणुवत्ा (quality)(v) भिक्कों के वरेन के भलए भवत्ीय सहायरा

    (financial support for teachers' salary(vi) भडभजटल पहल(digital initiatives)

    (vii) विवी, पाि्यपसुरकें इतयाभि सभहर आर.टी.ई. एंटाइटेलरेंट्स (RTE entitlements including uniforms, textbooks, etc.)

    (viii) प्ी-नसमारी भिक्ा(pre-nursery education)(ix) वयावसाभयक भिक्ा (Vocational Education)(x) खेल और िारीररक भिक्ा (Sports and

    Physical Education)(xi) भिक्क भिक्ा और प्भिक्ण को सुदृढ

    बनाना(strengthening of teacher education and training)

    (xii) रॉनीटररंग(monitoring)(xiii) कायमाक्रर प्बंधन (programme management) (xiv) राष्ट्रीय घटक(National Component)–

    कें द्रीय संस्ान, जैसे — एन.सी.इमा.आर.टी., नीपा, पी.एस.एस.सी.आइमा.वी.इमा., एन.सी.पी. सी.आर., एन.आइमा.सी., टी.एस.जी. आभि को सभ्रभलर भकया गया ह।ै

    यह प्सराभवर ह ै भक िैभक्क रूप से भपछड़ा बलॉक (EBB), भविेष फोकस भजलों (SFDs), सीरा क्ेत्रों (Border areas) और 115 योजना के अंरगमार िाभरल भजलों को वरीयरा िी जाएगी।

    समग्र शिक्षा के मुखय कें द्र शिन्ु शिक्षा कषा समग्र उपषागमसकूली भिक्ा को प्ी-सकूल से कक्ा 12 रक सरग्र रूप रें िखेा गया।

    • पहली बार उचच राधयभरक सरर र्ा प्ी- सकूल सरर को सरावेभि र भकया गया ह।ै

    • नवीन उचच प्ा्भरक, राधयभरक, उचच राधयभरक सकूलों की वयवस्ा सयंकु्र भवद्ायलों के भनरामाण के उद्शेय स ेकरने की कोभिि की गयी ह।ै

    प्रिषासशिक सधुषार • एकल र्ा एकीकृर प्िासभनक संरचना • राजयों को प्ा्भरकरा के अनसुार योजना रें

    हसराक्र करने हरे ुछूट प्िान करना

    • एकीकृर प्िासन द्ारा सकूल को भनरंरररा के रूप रें िखेना

    • गुणवत्ा सुधार हेरु सीखने के प्भरफल को आधार रानना

    गुणवत्षापूण्ण शिक्षा पर ध्षाि कें शरित करिषा • भिक्क र्ा प्ौद्ोभगकी रें धयान कें भद्रर कररे

    हुए भिक्ा की गणुवत्ा रें सधुार करना

    • भिक्क र्ा भवद्ालय प्रुख की क्ररा रें भवकास करना

    • भिक्कों की गुणवत्ा रें सुधार करने की दृभष्ट से भिक्क भिक्ण संस्ानों, जैसे— एस.सी.इमा.आर.टी र्ा डी.आई.ई.टी., को सिक्र बनाना

    • एस.सी.इमा.आर.टी को सेवारर एवं सेवा पूवमा प्भिक्ण हरेु नोडल संस्ान के रूप रें रखना भजससे भिक्क प्भिक्ण को आवशयकरा आधाररर र्ा आकभषमार बनाया जा सके।

    • पसुरकालय को रज़बरूी प्िान करने की दृभष्ट से सकूलों को 5000 स े25,000 रु. प्भरवषमा अनिुान के रूप रें िनेा ह।ै

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  • प्राथमिक मिक्षक / अक्तूबर 201814

    • सकूलों रें भवज्ान एवं गभणर अभधगर को बढावा िनेे हरे ुराष्ट्रीय आभवष्कार अभियान को सहयोग िनेा ह।ै

    • प्ा्भरक सरर पर बभुनयािी कौिलों के भवकास हरे ु‘पढे िारर बढे िारर’ अभियान को सहयोग िनेा ह।ै

    शिशिटल शिक्षा पर ध्षाि कें शरित करिषा • 5 साल के िीरर सिी राधयभरक भवद्ालयों रें

    ऑपरेिन भडभजटल बोडमा को सहयोग करनाह।ै • सराटमा क्लास रूर, भडभजटल बोडमा र ा् डी.टी.एच.

    चनैल के राधयर से भिक्ा रें भडभजटल प्ौद्ोभगकी को बढावा िनेा ह।ै

    • भडभजटल किर, जसै—े िालाकोष, िगनु, िाला सार्ी, को रज़बरूी प्िान करने की आवशयकरा ह।ै

    • उचच प्ा्भरक से उचच राधयभरक सरर रक आई.सी.टी. के ढाँच ेको सदुृढ करना ह।ै

    • भिक्कों के कौिल भवकास हरे ु‘िीक्ा’ नारक भडभजटल पोटमाल का अभधकाभधक प्योग करना ह।ै

    सकूलों को सदुृढ़ बिषािषा • सरकारी भवद्ालयों की आधाररक संरचना की

    गणुवत्ा रें सधुार करना ह।ै • सरग्र सकूल अनुिान भजसकी राभि

    14,500– 50,000 रु.से बढाकर 25,000 से 1 लाख कर िी गई ह ैवह सकूलों को बचचों के नारांकन के आधार पर िी जाएगी।

    • सवचछरा सं बंधी गभरभवभधयों हेरु भवभिष्ट प्ावधान ‘सवचछ भवद्ालय’का सहयोग करना ह।ै

    बषाशलकषा शिक्षा पर बल • बाभलकाओ ंका सिक्रीकरण करना ह।ै • कक्ा 6–8 से कक्ा 6–12 रक कसररूबा गाँधी

    बाभलका भवद्ालय का उननयन करना ह।ै

    • उचच प्ा्भरक स ेउचच राधयभरक सरर रक की बाभलकाओ ंको सवरक्ा का प्भिक्ण िनेा ह।ै

    • भविेष आवशयकरा वाली बाभलकाओ ं को कक्ा 1 से 12 रक प्भरराह 200 रु. सहायरा राभि के रूप रें िेना। इससे पहले यह केवल कक्ा 9 से 12 रक सीभरर ्ी।

    • ‘बेटी बचाओ बेटी पढाओ’स ेसबंंभधर प्भरबधिरा को बढाना ह।ै

    आर.टी.ई. 2009 कषा सह्ोग • विवी के बँटवारे हरे ुराभि 400 स ेबढाकर 600 रु.

    प्भर भवद्ा्वी प्भर वषमा कर िी गई ह।ै

    • पाि्यपसुरकों के आवटंन हरे ुराभि 150 – 250 रु. से बढाकर 250 – 400 रु. प्भर भवद्ा्वी प्भर वषमा कर िी गई ह।ै

    • भविषे आवशयकरा वाले बचच ेहरे ुवज़ीफे की राभि 3000 से बढाकर 3500 रु. प्भर बचचा प्भर वषमा कर िी गई ह।ै

    • प्ा्भरक सरर पर आय ुउपयकु्र कक्ा रें प्वेि हरे ुभविषे प्भिक्ण िनेा ह।ै

    • सकूल रें सावमािौभरक पहुचँ को सभुनभशच र करने हरेु यारायार सुभवधा बढाने के भलए 6000 रु. प्भर बचचा प्भर वषमा खचमा करना ह।ै

    कौिल शवकषास पर ध्षाि कें शरि त करिषा • उचच प्ा्भरक सरर पर वयावसाभयक कौिल के

    भवकास को बढावा िनेा ह।ै

    • कक्ा 9–12 के भलए वयावसाभयक भिक्ा को पाि्यक्रर के सा् सभ्रभलर करना र्ा सा् ही ज़यािा वयावहाररक बनाना ह।ै

    • कौिल भवकास पर बल िनेा ह।ै

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  • समग्र शिक्षा — शिद्षालयी शिक्षा में एक एकीकृत योजनषा 15

    िषारीररक शिक्षा तथषा खेल पर ध्षाि कें शरि त करिषा • खले भिक्ा को पाि्यक्रर का भहससा बनाना ह।ै • प्तयेक सकूल को प्ा्भरक सरर पर 5000 रु.,

    उचच प्ा्भरक सरर पर 10,000 रु. र्ा राधयभरक एवं उचच राधयभरक सरर पर 25000 रु. खले-कूि की सारग्री खरीिने हरे ुभिया जाएगा।

    • ‘खलेो-इभंडया’को सहयोग करना।

    के्त्ी् सतुंलि में ध्षाि कें शरि त करिषा • सं रभुलर िभैक्क भवकास का प्चार करना। • िैभक्क रूप से भपछड़े बलॉक (EBBs)

    से संक्रभरर भजलों, भवभिष्ट कें भद्र र भजलों (SFEs), बॉडमार क्ेत्र र्ा नीभर आयोग द्ारा भचभनि र 115 रहतवाकांक्ी भजलों को प्ा्भरकरा िेना।

    • ‘सबका सा् सबका भवकास’ का प्चार करना। सरग्र भिक्ा, सरकार का वािा ह ैएक गणुातरक

    भिक्ा प्िान करने का, भजसरें भवभिनन कौिलों र्ा ज्ान से संबंभधर बचचे सभ्रभलर हों भजससे उनका सरग्र भवकास हो सके। बचचों को िभवष्य रें इस भक्रयािील राष्ट्र भनरामाण अ्वा उचच भिक्ा लेने के अनुरूप रैयार भकया जा सके।

    एकीकृत योजनषा के अंतर्गत आि.टिी.ई.,2009एकीकृर या सरग्र योजना, भवद्ालय रें भिक्ा का अभधकार अभधभनयर, 2009 के कायामानवयन हेरु राजयों र्ा कें द्र िाभसर प्िेिों को सहयोग करेगी। इस योजना रें एक नयायसंगर और सरावेिी गुणवत्ा भिक्ा प्िान करने की पररकलपना की गई है जो अग्रभलभखर रागमाििमाक द्ारा भनिदेभिर की जाएगी—

    (i) भिक्ा का सरग्र दृभष्टकोण (Holistic view of education)— इसकी वयाखया राष्ट्रीय पाठ्यचयाया की रूपऱेखा 2005 रें संपूणमा सारग्री के वयवभस्र सधुार र्ा पाि्यक्रर, भिक्क-भिक्ा, िै भक्क भनयोजन एवं प्बंधन के भलए भिक्ा प्भक्रया के आवशयक कायामानवयन के रूप रें की गई ह।ै

    (ii) सा्यरा(Equity)—इसका रातपयमा सरान अवसरों को प्िान करना ही नहीं है, अभपर ुऐसी पररभस्भरयों का भनरामाण करने से िी है भजसरें सराज के वंभचर वगमा र्ा अनुसूभचर जाभर, अनुसूभचर जनजाभर, रुभसलर अलपसंखयकों के बचचे, िूभरहीन कृभष श्रभरक र्ा भविेष क्ररा वाले बचचे, आभि अवसर का लाि उिा सकें ।

    (iii) पहुचँ(Access)—यह सभुनभशच र करना ही काफी नहीं ह ै भक भवद्ालय भनभिमाष्ट िरूी के अिंर सिी बचचों की पहुचँ के िीरर हों बभलक यह िी आवशयक ह ैभक यह परंपरागर रूप से बभहष्कृर श्रभेणयों, जैसे — अनसुभूचर जाभर, अनुसभूचर जनजाभर एवं सवामाभधक वंभचर सरहूों के अनय वगमा, रभुसलर अलपसंखयक, बाभलकाओ ंएवं भविषे क्ररा वाले बचचों की िभैक्क आवशयकराओ ंएवं सरसयाओ ंको सरझकर भिक्ा के ज़यािा से ज़यािा अवसर सलुि हों।

    (iv) जेंडर संवेिनिीलरा (Gender concern)— लड़भकयों को लड़कों के सा् एक कक्ा रें बैिाने हरे ुसक्र बनाना रात्र ही पयामाप्र नहीं ह ैअभपर ुराष्ट्रीय भिक्ा नीभर, 1986/92 के

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    पररपे्क्य रें भिक्ा को िखेना िी ह।ै अर: यह रभहलाओ ंकी भस्भर रें बभुनयािी पररवरमान लाने के भलए भनणामायक हसरक्ेप ह।ै

    (v) नैभरक रज़बरूी (Moral compulsion)—रारा-भपरा, भिक्कों, िभैक्क प्िासकों र्ा अनय भहरधारकों हेरु िण्ड प्भक्रयाओ ं पर बल डालने के बजाए भिक्ा का अभधकार अभधभनयर (आर.टी.ई.) के राधयर से नैभरक रज़बरूी प्िान करना।

    (vi) भिक्कों का कें द्रीकरण (centrality of teacher) — भिक्कों को कक्ा-कक् के अंिर एवं बाहर भिक्ण हेरु वारावरण रैयार करने के भलए प्ोतसाभहर भकया जाए, इसके सा् ही वे सिी बचचों भविेषरया बाभलकाओ ंके भलए सरावेभिर भिक्ा हरे ुवारावरण रैयार करें।

    (vii) िभैक्क प्बंधन का अभिसरण और एकीकृर प् ण ा ल ी ( C o n v e r g e n t a n d integrated system of educational management) — आर.टी.ई. कानून के कायामानवयन के भलए पवूमा आवशयकरा ह।ै सिी राजयों को उस भििा रें रेज़ी स ेवयवहायमा रूप स ेआगे बढना चाभहए।

    इस ररह सरग्र भिक्ा अ्ामार ् एकीकृर योजना भिक्ा प्णाली को एक ऐसा सगंभिर सवरूप प्िान कररी ह ैभजसरें इन रीनों योजनाओ ंएवं अनय संबंभध र पहलओु ंका एक सा् सरावेि होरा ह।ै भजसस ेबचचों की भिक्ा के सा् भिक्क प्भिक्ण आभि को एक सा् िखेा जा सकरा ह।ै इस ररह कें द्र सरकार ने भिक्ा का सरानीकरण एवं सरावेिीकरण के सा्-सा् राजय सरकार को गणुवत्ापणूमा भिक्ा के भलए प्ोतसाभहर करने के भलए एक पहल की ह।ै

    सं् र्ग कॉनसपे्ट पपेर ऑन “इनटीगरेटेड सकीर फॉर सकूल एजकेुिन — रभजांग ि सेंट्रली सपोंसडमा सकी्स ऑफ एस. एस. ए., आर.एर.

    एस.ए.,एडं टी.इमा.” Samagra.mhrd.gov.in/docs/Letter%20to%20states%20(Final).pdfकें द्र सरकार का ‘सरग्र भिक्ा अभि यान’ पोटमाल https://www.enterhindi.com/samagra-shiksha-abhiyan-portal-

    mhrd/ पर िखेा गया।

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    कक्षा में पढ़ने की आदतरजनी*

    * असिस्टेंट प्रोफे़िर, कें द्ीय शिक्षा संस्षान, शिक्षा शिभषाग, शिल्ी शिश्िशिद्षा्य, शिल्ी 110 007

    प्षाय: सरकषारी सककू ्ों की प्षा्शिक स्तर की कक्षाओ ंिें यह िखेषा जषा्तषा रहषा ह ै शक इस स्तर पर बच्चों िें पढ़नषा-श्खनषा, सीखनषा-शसखषानषा ्त्षा पठन जैसे कौि्ों कषा शिकषास कैसे शकयषा जषाए, यह एक गंभीर िदु्षा हो्तषा ह।ै कक्षा िें बच्चों के किज़ोर पठन-बोध को एक ‘सिसयषा’ की ्तरह िखेषा जषा्तषा ह।ै पषाठ्य-पसु्तकों िें आने िषा्े बि्षािों ि राष्ट्रीय पाठ्यचयाया की रूपरेखा 2005 के आने के उपरषान्त भी पढ़ने को ्ेकर प्षाय: कक्षाए ँ संिभ्भ रशह्त ि अ ््भहीन्तषा के उपषागि को अनसुरर्त कर्ती शिख्ती हैं, जहषँा पढ़ने की िरुुआ्त ही अक्रों के शिभषाजन से हो्ती ह।ै इन ि्त्भिषान पररस्श्तयों िें प्षा्शिक िषा्षाओ ंिें शनससंिहे बच्चों को रो्चक ि सषा ््भक रूप िें पढ़नषा-श्खनषा शसखषानषा एक ्चनुौ्तीपकूर्भ कषाय्भ ्तो ह,ै परं्त ुकक्षाग्त स्तर पर बच्चों के सीखने के ्तरीकों कषा सकूक्ि शनरीक्र ि सैदषंाश्तकी की सिझ के सषा् कक्षा िें होने िषा्े िशैनक अनभुिों पर श्च्ंतन से यह ्चनुौ्ती संभि्त: सर् हो सक्ती ह।ै प्स्त्ुत ्ेख िें कक्षा ्तीन िें प्शिक् ुशिक्र के िौरषान हुए कुछ ऐसे ही रो्चक अनभुिों के हिषा्े से बच्चों िें पढ़ने की आि्तों कषा शिकषास शकस प्कषार संभि हो सक्तषा ह,ै जैसे शिषय पर ्च्चषा्भ की गई ह।ै

    कक्षा ्तीन िें पढ़षाने कषा अिसर िरेे श्ए कई िषायनों िें ्चनुौ्तीपकूर्भ ्षा, कयोंशक इस कक्षा ्तक आ्ेत-आ्ेत बच्च ेएक सटीक पररपषाटी पर ्च्ने के आिी हो ्चकेु ्े। गहृ कषाय्भ के नषाि पर शबनषा सिझ के ब्ैकबोर्भ और िकूसरी ्तरह से नक् कर उत्तर श्खने से परेिषान हो ्चकेु ्े। इस कक्षा िें प्षारंशभ क शिक्र के सिय बच्च ेअकसर पषाठ के पकूरषा होने पर सिषा्-जबषाि के िौरषान िरेी ्तरफ इस उमिीि से ्तषाक्ेत ्े शक पकूछे गए सिषा् कषा जिषाब िरेे द्षारषा ही ब्ैकबोर्भ पर श्ख शियषा जषाएगषा। उस सिय बच्चों से सिषा्-जिषाब की प्शरियषा िें खषासी ऊजषा्भ कषा िोहन करनषा हो्तषा ् षा। कक्षा

    िें ्तकरीबन आधी से जयषािषा संखयषा उन बच्चों की ् ी शजनको यह ् ग्तषा ह ैशक ि ेपढ़नषा नहीं जषान्ेत हैं। इसके सषा् ही जो बच्च ेपढ़नषा जषान्ेत हैं उनकषा कबज़षा कक्षा िें आगे की बें्चों पर हो्तषा ्षा। ‘ि ेबच्च’े जो ‘पढ़नषा नहीं जषान्ेत ् ’े कक्षा िें पीछे बैठषा कर्ेत ् ।े अकसर यह बच्च ेकक्षा िें सियं को अ्ग-््ग रख्ेत ्े और कक्षा की ्च्चषा्भओ ंिें भी शहससषा नहीं ्े्ेत ्े। कक्षा के िषाहौ् िें ्त्षाकश््त किज़ोर बनषाि होशियषार की श्रेी बनी हुई ्ी। कक्षा शि्ने के सप्तषाह भर बषाि सबसे पह्षा जो कषाि हिने शकयषा िह यह शक कक्षा िें एक शक्तषाबी कोनषा बनषायषा, शजसिें यही कोई पंद्ह

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    से बीस कहषानी की शक्तषाबें रखी गइइं प्षारंभ िें कुछ शक्तषाबें फषाड़ी गइइं कुछ शक्तषाबों के पननों पर श्चत्रकषारी की गई परं्त ुइस सब िें जो सबस ेजयषािषा धयषान खीं्चने िषा्ी बषा्त िरेे श्ए ् ी, िह यह शक कक्षा के िे बच्च ेजो अपने आप को ‘न पढ़ने िषा्ों’ की श्रेी िें रख्ेत ्े िे अब शक्तषाबों के सषा् अपनषा एक ररश््तषा बनषाने ्ग गए ् ।े जब भी उनहें िौकषा शि््तषा ि ेशक्तषाबों की ओर ्च्े जषा्ेत ि उनहें उ्ट-प्ट कर िखेने ्ग्ेत। धीरे-धीरे िे बच्च ेउन शक्तषाबों पर श्ख ेअक्रों को पह्चषानने की कोशिि कर्ेत ि अपने िकूसरे सषाश्यों ्त्षा िझुसे आकर पकूछ्ेत शक ‘िरैि इसको कयषा पढ़ेंग?े इस शक्तषाब कषा कयषा नषाि ह?ै यषा इस पर जो श्खषा ह ैउस ेकयषा पढ़्ेत हैं?’ कई बषार ि ेश्चत्रों की ििि स ेश्ख ेहुए कषा अिंषाज़षा ्गषा्ेत और अकसर अपने अिंषाजे़ को सही सषाशब्त करने के श्ए िझुसे पकूछने आ्ेत शक िरैि कयषा यहषँा जो श्खषा ह ैउसे हषा्ी पढेंगे! इसे शबल्ी पढ़ेंगे! आशि-आशि। इस ्तरह से हिषारी कक्षा िें अब पढ़ने की िरुुआ्त और जगु्त िोनों होने ्गी ्ी। िे बच्च ेजो अब ्तक पढ़नषा जषान ्चकेु ् े और जो पढ़ने की िरुुआ्ती अिस्षा िें ्े िोनों ही सिकूह इस जगु्त िें शनरं्तर ्गे रह्ेत ्े। अब बषारी ्ी कक्षा िें एक ऐसे सकषारषातिक पढ़ने-श्खने के िषाहौ् की जो बच्चों को पढ़ने-श्खने के बहु्त से िौके ि।े कक्षा िें इसके श्ए सबस ेपह्ी िरुुआ्त प्षा्त:कषा्ीन स�